Friday, February 2, 2018

Union Budget 2018

                                                             Union Budget 2018
 Union Budget 2018


जेटली के भाषण की ख़ास बातें
आयकर छूट की सीमा में कोई बदलाव नहीं

-वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए 40 हज़ार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन यानी जितना वेतन है उसमें से 40 हज़ार रुपये घटाकर जो रकम बचेगी उस पर टैक्स लगेगा.

-शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स 15 प्रतिशत जारी रहेगा
- एक लाख रुपये से अधिक के निवेश पर 10 प्रतिशत कैपिटल गेन टैक्स
-वरिष्ठ नागरिकों के लिए मेडिक्लेम 50 हज़ार
-स्वास्थ्य और शिक्षा सेस अब बढ़कर 4 प्रतिशत हुआ
-1.89 करोड़ कर्मचारियों ने 1.44 करोड़ रुपये का आयकर दिया.
-250 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली कंपनियों के लिए 25 प्रतिशत टैक्स
-2018-19 में वित्तीय घाटा जीडीपी का 3.3 प्रतिशत रखने का लक्ष्य
-मौजूदा वित्तीय वर्ष में वित्तीय घाटा 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान
-डायरेक्ट टैक्स वसूली 12.6 प्रतिशत बढ़ी
-85 लाख 51 हज़ार नए करदाता जुड़े
-राष्ट्रपति की तनख्वाह पाँच लाख होगी, उपराष्ट्रपति की चार लाख रुपये और राज्यपाल की तनख्वाह साढ़े तीन लाख होगी.
-सांसदों का वेतन भी बढ़ेगा और हर पांच साल में सांसदों के भत्ते की समीक्षा होगी.

-2018-19 में विनिवेश से 80 हज़ार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य
-दो बड़ी बीमा कंपनियां शेयर बाज़ार में लिस्ट होंगी
                             क्या महंगा, क्या सस्ता?
मोबाइल, टीवी उपकरणों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाई- मोबाइल, टीवी महंगे होंगे
                                         रेलवे

रेलवे के विस्तार पर 1.48 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे
मुंबई रेल नेटवर्क के लिए 11,000 करोड़ रुपये
बैंग्लुरू मेट्रो नेटवर्क के लिए 17,000 करोड़ रुपये
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए वडोदरा में संस्थान बनेगा
                                     रोजगार

मुद्रा योजना के लिए तीन लाख करोड़ रुपये
नए कर्मचारियों के लिए ईपीएफ में 12 फ़ीसदी योगदान सरकार करेगी
महिलाओं के लिए शुरुआती तीन सालों के लिए ईपीएफ़ योगदान घटाकर 8 फ़ीसदी
70 लाख नई नौकरियां बनाने का लक्ष्य
टेक्सटाइल सेक्टर के लिए बजट बढ़ाया, 7148 करोड़ रुपये का आवंटन
स्वच्छ भारत मिशन के तहत छह करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण
2018-19 में दो करोड़ नए शौचालय बनाने का लक्ष्य
8 गरोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन
ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के लिए 14.34 लाख करोड़ रुपये
इफ्रांस्ट्रक्चर के लिए 50 लाख करोड़ रुपये की ज़रूरत
                                       स्वास्थ्य


नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम के तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक का हेल्थ बीमा.
करीब 50 करोड़ सलोगों को हेल्थ बीमा की सुविधा मिलेगी.
टीबी मरीजों के लिए 600 करोड़ रुपये की स्कीम
24 नए मेडिकल कॉलेज खोले जाने का प्रस्ताव
 ग्रामीण अर्थव्यवस्था

2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य.
कम लागत में अधिक फसल उगाने पर ज़ोर, किसानों को उनकी उपज का अधिक दाम दिलाने पर फोकस
कृषि उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर. 275 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ.
उपज पर लागत से डेढ़ गुना अधिक दाम मिले, इस पर फोकस.
किसानों को उनके लागत का डेढ़ गुना देंगे
खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना है.
2000 करोड़ रुपये की लागत से कृषि बाज़ार.
फूड प्रोसेसिंग सेक्टर 8 फ़ीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है. कृषि प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए 1400 करोड़ रुपये.
500 करोड़ रुपये की लागत से ऑपरेशन ग्रीन.
किसानों को कर्ज के लिए बजट में 11 लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव
42 मेगा फूड पार्क बनाए जाएंगे. किसान क्रेडिट कार्ड पशुपालकों को भी मिलेगा.
विदेशी निवेश में बढ़ावा हुआ है. एक समय था जब भ्रष्टाचार, शिष्टाचार का अंग बन गया है, अब ईमानदारी का चलन बढ़ा है.
नोटबंदी के बाद डिज़िटाइजेशन बढ़ा, टैक्स देने वालों का दायरा भी बढ़ा है.
मई 2014 के बाद मोदी सरकार के पहले तीन सालों में अर्थव्यवस्था की रफ़्तार साढ़े 7 फ़ीसदी रही है.
दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.3 प्रतिशत है, जिससे इस साल 20-17-18 में जीडीपी विकास दर 7.2 से 7.5 फ़ीसदी रहने का अनुमान है.
भारत 2.5 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था.
सरकार के लिए सबसे अधिक चुनौती ग्रामीण अर्थव्यवस्था में रहे ठहराव को दूर करने की है.


Union Budget 2018
किसानों के लिए क्या है खास

हर खेत को पानी, कृषि सिंचाई योजना के लिए 2600 करोड़ रुपए का ऐलान
1200 करोड़ बांस क्षेत्र के विकास के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन, बांस को पेड़ की श्रेणी से अलग किया जाएगा
खेती के लिए 10 लाख करोड़ का क्रेडिट कार्ड
आलू-प्याज के लिए ऑपरेशन ग्रीन
किसानों को कम लागत में ज्यादा उपज की मदद
2022
तक किसानों की आय दुगुनी करने का लक्ष्य
देश का कृषि उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर, साल 2017 में 275 मिलियन टन अनाज हुआ
रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएफसी) लागत से 1.5 गुना ज्यादा, घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य का पूरा लाभ किसानों को मिला
किसानों को उचित दाम दिलाने की कोशिश, ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया
गरीबों को मुफ्त डायलिसिस सुविधा अन्य सभी सरकारी सेवाएं ऑनलाइन होगी
हमारे 86 % किसान छोटे और मझोले, सौभाग्य से गैस और बिजली कनेक्शन
खेती का बाजार मजबूत करने के लिए 2000 करोड़ खर्च किए जाएंगे
पिछले साल फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र 8% की दर से बढ़ा, फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र के लिए 1400 करोड़ रुपए का ऐलान
खेती का बाजार मजबूत करने के लिए 2000 करोड़ रुपए का ऐलान
किसान क्रेडिट कार्ड पशुपालन के लिए भी
प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास योजना का तीसरा दौर, स्कूल-अस्पताल तक सड़क ले जाएंगे
गरीबों-मध्यवर्ग को होम लोन में राहत
महिला स्वसहायता समूहों को भी प्रोत्साहन
अगले 2 साल में 2 करोड़ शौचालय बनाने का लक्ष्य
8 करोड़ गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन
कृषि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और किसानों के बारे में की गई कुछ अहम घोषणाएं-

2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य.
कम लागत में अधिक फसल उगाने पर ज़ोर, किसानों को उनकी उपज का अधिक दाम दिलाने पर फोकस
उपज पर लागत से डेढ़ गुना अधिक दाम मिले, इस पर फोकस.
2000 करोड़ रुपये की लागत से कृषि बाज़ार.
कृषि प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए 1400 करोड़ रुपये.
500 करोड़ रुपये की लागत से ऑपरेशन ग्रीन.
42 मेगा फूड पार्क बनाए जाने का ऐलान.
लघु और सीमांत किसानों के लिए ग्रामीण कृषि बाजारों का विकास किया जाएगा.
गांवों में 22 हज़ार हाटों को कृषि बाजार में तब्दील किया जाएगा.
देश में कृषि उत्पादन रेकॉर्ड स्तर पर है. साल 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करेंगे.
खरीफ़ की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को 1.5 गुना किया गया है.
मछुआरों और पशुपालकों को भी किसानों की तरह क्रेडिट कार्ड दिए जाएंगे.
कृषि बाजार के विकास के लिए 2,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे.

ऑर्गनिक खेती को और बढ़ावा दिया जायेगा.

महिला समूहों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा.


मछली पालन और पशुपालन व्यवसाय में 10000 करोड़ रुपये देकर ग्रामीण क्षेत्रो में जनता की आय बढ़ाने की कोशिश की जाएगी.

सौभाग्य योजना के तहत चार करोड़ गरीब घरों को मुफ़्त बिजली दी जाएगी.

साल 2022 तक हर गरीब के पास उसका अपना घर होगा.
गांवों में इंफ़्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए 14.34 लाख करोड़ रुपये दिए जाएंगे.

उज्ज्वला योजना के तहत अब आठ करोड़ गरीब महिलाओं को मुफ़्त गैस कनेक्शन दिया जाएगा.

कृषि उत्पादों के निर्यात को 100 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंचाने का लक्ष्य.
10 करोड़ गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा.
सरकार के लिए सबसे अधिक चुनौती ग्रामीण अर्थव्यवस्था में रहे ठहराव को दूर करने की है. शायद इसीलिए वित्तमंत्री का फ़ोकस गांवों में बेरोजगारी दूर करने पर है.


बजट से जुड़ी इन बातों को जानना हर किसी के लिए बेहद जरूरी
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई): किसी विदेशी कंपनी द्वारा भारत स्थित किसी कंपनी में अपनी शाखा, प्रतिनिधि कार्यालय या सहायक कंपनी द्वारा निवेश करने को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहते हैं.
80सी की बचत : आप अपनी आमदनी में से इंश्योरेंस, सीपीएफ, जीपीएफ, पीपीएफ, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी), टैक्स बचाने वाले म्यूचुअल फंड, पांच साल से ज़्यादा की एफ़डी, होम लोन के प्रिंसिपल (मूलधन) जैसे निवेशों में लगा सकते हैं, और ऐसे निवेशों को जोड़कर डेढ़ लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स में छूट दी जाती है... इस डेढ़ लाख रुपये को आपकी कुल आय में से घटा दिया जाता है और उसके बाद इनकम टैक्स का हिसाब लगाया जाता है.
आकस्मिक निधि (कोष) : इस कोष का निर्माण इसलिए किया जाता है, ताकि जरूरत पड़ने पर आकस्मिक खर्चों के लिए संसद की स्वीकृति के बिना भी राशि निकाली जा सके.
सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जीएनपी): एक वर्ष के दौरान तैयार सभी उत्पादों और सेवाओं के सम्मिलित बाजार मूल्य तथा स्थानीय नागरिकों द्वारा विदेशों में किए गए निवेश के जोड़ को, विदेशी नागिरकों द्वारा स्थानीय बाजार से अर्जित लाभ में घटाने से प्राप्त रकम को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है..
प्रत्यक्ष या डायरेक्ट टैक्स : यह व्यक्ति या संस्थानों की आय पर लगाया जाता है.
विनिवेश : जब सरकारी फर्म या संस्थान की कुछ हिस्सेदारी निजी हाथों में सौंप दी जाती है. इससे सरकार को राजस्व मिलता है.
उत्पाद शुल्क : देश के अंदर बनने वाले सभी उत्पादों पर लगाया जाता है.
राजकोषीय घाटा : सरकार के राजस्व और कुल खर्चें का अंतर होता है.
जीडीपी : एक वित्तीय साल में देश के अंदर बनने वाली कुल वस्तुओं और सेवाओं को सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी कहा जाता है.
एग्रीगेट डिमांड : यह किसी भी देश की अर्थव्यस्था का कुल मांग का जोड़ होता है. इसे उपभोक्ता वस्तुओं एवं सेवाओं और निवेश पर होने वाले खर्च को जोड़कर निकाला जाता है.
एप्रोप्रिएशन बिल : इस बिल के जरिए खर्चों के निकालने के लिए हरी झंडी देने जाती है. इसे लोकसभा में वोटिंग के जरिए पास किया जाता है.
एग्रीग्रेट सप्लाई : यह किसी देश में उत्पादित होने वाली वस्तु एवं सेवाओं की कीमत का जोड़ होता है. इसमें निर्यात किए गए माल की कीमत घटाने के बाद आयात किए गए माल की कीमत शामिल होती है.
बैलेंस ऑफ पेमेंट : देश के अंतरराष्ट्रीय कारोबार का लेखाजोखा होता है. मतलब देश और विदेश के बीच हुए लेनेदेन का हिसाब होता है.
बैलेंस बजट : जब देश की कुल आय और खर्चे बराबर होते हैं तो उसे बैलेंस बजट कहा जाता है. इसका मतलब है आय और व्यय पर टैक्स लगने वाला काफी है.
बजट घाटा : जब देश की कुल आय से ज्यादा खर्चे हों तो बजट घाटा कहा जाता है.
बजट अनुमान : एक वित्तीय साल के अंदर सरकार को कितनी आय हुई और उसने कितना खर्च किया. सरकार की आय का मतलब राजस्व है.
बॉण्ड : यह सरकारी प्रमाणपत्र है जो कर्ज के लिए जारी किया जाता है. इसके जरिए सरकार पैसा जुटाती है.
कारपोरेट टैक्स : इस तरह के टैक्स कारोबारी कंपनियों पर लगाया जाता है.
सीमा शुल्क : देश से आयात और निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर यह टैक्स लगाया जाता है.
चालू खाता घाटा : आयात और निर्यात के बीच के अंतर होता है.

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