Monday, January 29, 2018

पाचन तन्त्र

पाचन तन्‍त्र

    भोजन के जटिल पोषक पदार्थो व बड़े अणुओ को विभिन्‍न रासायनिक क्रियाओ और एंजाइम की सहायता से सरल, छोटे व घुलनशील अणुओं में बदलना पाचन कहलाता है, तथा जो तंत्र यह कार्य करता है, पाचन तंत्र कहलाता है।



आहार नाल
मुख (दन्‍त,जीहृा,लार ग्रंथियॉं
ग्रसनी
ग्रासनाल
आंत
छोटी आंत,
बड़ी  आंत
अमाशय
मलाशय

पाचन ग्रंथियॉं
लीवर
अग्‍नाशय

पाचन तन्‍त्र की कुल लम्‍बाई ३०-३२ फीट या १० मी. होती है।

१.      मुख : भोजन का पाचन मुख से प्रारम्‍भ होता है।

२.      दन्‍त : दांतो के अध्‍ययन को ऑडिन्‍टोलॉजी कहा जाता है।
      दांत आडिन्‍टोब्‍लोस्टो नामक कोशिका ये बने होते हैं।
      दांतो के अन्‍दर कैल्शियम व फास्‍फोरस नामक तत्‍व पाये जाते है।
नोट:  दांत व हडि्डयॉं रात्री में चमकती हैं, सफेद फास्‍फोरस के कारण दिखायी देती है।
      फॉस्‍फोरस को सदा जल में डुबाकर रखा जाता है।
      सामान्‍य मनुष्‍य के अन्‍दर दांतो की संख्‍या ३२ , वाल्‍यावस्‍था में २८ व शिशु अवस्‍था मे बच्‍चे के अन्‍दर २० होती है।

नोट:  प्रकृति के अन्‍दर स्‍थल स्‍तनधारियों मे सर्वाधिक दांत घोड़े व सुअर मे ४४ पाये जाते हैं।
३२ दांत मे से १२ दांत स्‍थाई तथा २० दांत अस्‍थाई होते हैं।

दांत के कार्य :
दॉंत
दॉंतों की संख्‍या
कार्य
कृत्‍नक

8

भोजन को काटना
रन्‍दनक
4
भोजन को चीरना या फाडना
अग्र चवर्णक
8
भोजन को चबाना व पीसना
चवर्णक
12
भोजन को चबाना

नोट: सामान्‍य मनुष्‍य के अन्‍दर अक्‍ल दांतो की संख्‍या 12 होती है, जो पूर्णत: 18-25 वर्ष के मध्‍य उगना प्रारम्‍भ होती है।

हाथी के दिखाई देने वाले दांत ऊपरी जबड़े के कृत्‍नक दांत होते हैं। -14

     

दॉंतो के अन्‍दर पाये जाने वाले गैप को भरने के लिए चॉंदी का अमलगम भरा जाता है।
जीवा की ऊपरी सतह पर छोटी छोटी ग्रन्थियॉं पाई जाती हैं, जिन्‍हे स्‍वाद ग्रन्थियॉं कहा जाता है, इन ग्रन्थियों का मुख्‍य कार्य भोजन के स्‍वाद का पता लगाना होता है।


लार ग्रन्थियॉं :
     इन ग्रन्थियो का मुख्‍य कार्य लार स्‍त्राव करना होता है।
१.       सामान्‍य मनुष्‍य प्रतिदिन १+१/२ से २ ली. लार स्‍त्रान्‍त करता है
२.       लार का पीएच मान ६.८ होता है
३.       लार के अन्‍दर टायलिन व लाइसोजाइम नामक एन्‍जाइम पाये जाते हैं
४.       टायलिन का मुख्‍य कार्य स्‍टार्च को माल्‍टोज मे बदलना होता है
५.       लाइसोजाइयम का मुख्‍य कार्य भोजन के साथ बाहर से आये जीवाणु को नष्‍ट करना होता है
६.       मुख गुहा के अन्‍दर मौजूद भोजन के छोटे छोटे कणो को बोलस कहा जाता है

ग्रसनी :
     पाचन तन्‍त्र के इस भाग का मुख्‍य कार्य भोजन मार्ग व श्‍वसन मार्ग दोनो को दूसरे से अलग करना होता है।

ग्रास नाल :
     इसका मुख्‍य कार्य भोजन को बारीकी से छानकर आमाशय तक पहुँचाना होता है।

आमाशय :
१.       आमाशय के अन्‍दर भोजन लगभग  ४-५ घंटे तक ठहरता है।
२.       आमाशय की दीवारो पर छोटी-छोटी ग्रन्थियॉं पायी जाती है जिसे जठ्ठर रस कहते हैं।
३.       ये ग्रन्थियॉं अलग अलग हार्मोन स्‍त्रावित करती है, जिन्‍हे जठ्ठर रस या आमाशय रस कहा जाता है।
४.       जठ्ठर रस का पीएच मान १.५ – २.२ तक होता है।

जठ्ठर ग्रन्थियो के द्वारा स्‍त्रावित हार्मोन :
    हाइड्रोक्‍लोरिक अम्‍ल : इसका मुख्‍य कार्य भोजन की अम्‍लीय माध्‍यम उपलब्‍ध कराना है।
    पेप्‍सीन हार्मोन : यह खाद्य प्रोटीन को पेप्‍ट्रोन मे बदल देता है।
    रेनिन हार्मोन : इसका मुख्‍य कार्य दुग्‍ध प्रोटीन केसीन को कैल्सियम पेराकेसिनाइट मे बदलना होता है।
      म्‍यूसीन  हार्मोन : इस हार्मोन का मुख्‍य कार्य भोजन को चिकना बनाना होता है, तथा HCL अम्‍ल से आमाशय की दीवारो को सुरक्षा करना होता है।


छोटी ऑंत : छोटी ऑंत की कुल लम्‍बाई लगभग ६.२५ मी. होती है,परन्‍तु इसका व्‍यास बड़ी ऑंत से कम होता है। भोजन से अनावश्‍यक पोषक पदार्थ का अवशोषण छोटी ऑंत करती है, इसलिए कहा जाता है कि भोजन का सम्‍पूर्ण पाचन छोटी ऑंत के अन्‍दर होता है।

बड़ी ऑंत: बड़ी ऑंत की लम्बाई १.५ मी. होती है , परन्‍तु इसका व्‍यास छोटी ऑंत से अधिक होता है, इसका मुख्‍य कार्य पचीय भोजन से जल का अवशोषण करना होता है ।

मलाशय : भोजन के सम्‍पूर्ण पाचन के बाद बने हुए शेष अवशिष्‍ट पदार्थ को मल कहा जाता है , जिसे मलाशय मानव शरीर से बाहर कर देता है।

यकृत/लीवर/कलैजा/जिगर :
१.       यकृत मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि होती है
२.       यकृत को मानव शरीर की जैव रासायनिक फैक्‍ट्री भी कहा जाता है
३.       सामान्‍य मनुष्‍य के लीवर का भार लगभग १.५ -२ कि.ग्रा तक होता है
४.       लीवर मानव शरीर के अन्‍दर दायें हिस्‍से मे स्थित होता है
५.       लीवर पित्‍तरस नामक एक पदार्थ स्‍त्रावित करता है, जो पित्‍ताशय मे इकट्ठा होता है
६.       सामान्‍य मनुष्‍य प्रतिदिन ७००-१००० मि.ली. पित्‍तरस स्‍त्रावित करता है
७.       पित्‍तरस के अन्‍दर दो वर्णक पाये जाते हैं-बिलसर्बिन वर्णक पीले रंग का, बिलवर्णिन वर्णक हरे रंग का
८.       पीलिया रोग एक वायरस जनित्र रोग होता है
९.       मानव शरीर सर्वाधिक पुरूद्धभवन की क्षमता लीवर की होती है,जबकि सबसे कम मस्तिष्‍क की होती है

अग्‍नाशय ग्रन्थि :
१.       इसकी आकृति नीम के पत्‍ते के समान होती है, इस ग्रन्थि के अन्‍दर अल्‍फा, बीटा, गामा कोशिका का समूह पाया जाता है, इसलिए इस ग्रन्थि को मिश्रित ग्रन्थि कहा जाता है
२.       बीटा कोशिका के समूह की खोज लैंगर हैंस नामक वैज्ञानिक ने की, इसलिए बीटा कोशिका के समूह को लैंगरहै्न्‍स द्वीप समूह भी कहा जाता है
३.       यह समूह इन्‍सुलिन नामक हार्मोन स्‍त्रावित करता है, जो कि रक्‍त अन्‍दर पायी जाने वाली ग्‍लूकोज शर्करा की मात्रा को कन्‍ट्रोल करता है
४.       इस हार्मोन की कमी ये रक्‍त के अन्‍दर ग्‍लूकोज शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे मधुमेह नामक रोग हो जाता है
५.       अग्‍नाशय ग्रन्थि को मीठी ब्रेड भी कहा जाता है
६.       अल्‍फा कोशिका का समूह ग्‍लाइकोजन नामक हार्मोन स्‍त्रावित करता है, जो कि ग्‍लूकोज की कमी होने पर ग्‍लाइकोजन को ग्‍लूकोज मे परिवर्तित करता है
७.       गामा कोशिकाका समूह सोमेटोस्टिनन हार्मोन स्‍त्रावित करता है, जो कि भोजन का स्‍वादीकरण की अवधि को बढ़ाता है

  


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