जीव का जीव के साथ तथा जीव का पर्यावरण के साथ
अन्तसंबंध इकोलॉजी कहलाता है, इकोलाजी शब्द हैकल ने दिया था।
इकोलॉजी का जनक – हमबोल्ट को कहा जाता है।
आधुनिक इकोलॉजी का जनक – ओड्म
भारतीय इकोलॉजी का जनक – रामदेव मिश्रा
इकोलॉजी के स्तर
जीव- जाति – जनसंख्या - जैविक समुदाय – इकोसिस्टम- बायोस्फीयर(जैवमण्डल)
– बायोम
बायोस्फीयर (जलमण्डल, थलमण्डल , वायुमण्डल)
१.
इकोलॉजी
की सबसे छोटी इकाई ‘जीव’ होती है
२.
सबसे
बड़ी इकाई – बायोस्फीयर
३.
एक
जैसे जीवों का समूह जो जननक्षम जाति कहलाता है
४.
अलग
अलग जाति व जीवों को समूह पहले जैविक समुदाय देखने को मिलता है
पारितंत्र
1.
जैविक समुदाय
का भौतिक पर्यावरण के साथ अर्न्तसम्बंध से बना तत्व ‘’इकोसिस्टम’’ कहलाता है।
2.
इकोसिस्टम शब्द
ए.जी. टेंसले ने दिया था।
3.
किसी भी इकोसिस्टम
मे ऊर्जा का केन्द्र व स्त्रोत सूर्य होता है।
4.
इकोसिस्टम एक खुला तन्त्र या निकाय है, जिसमें ऊर्जा और
पदार्थ दोनो का प्रवाह सतत् होता है
घटक
जैविक (संयोजी घटक)
|
अजैविक (निर्जीव घटक )
|
1.
उत्पादक
|
1.खनिज लवण, प्रोटीन, वसा , विटामिन
|
2.
उपभोक्ता
|
2.मृदा ,पत्ते , मिट्टी ,
|
3. अपघटक
|
3.अम्लीयता, क्षारीयता,
|
|
4.वसा
|
|
5.आर्द्रता , ताप आदि
|
जैविक घटक :
उत्पादक(पेड़ पौधे , स्वपोषी अपना
भोजन स्वंय बनाते हैं।)
|
प्राथमिक उपभोक्ता (शाकाहारी)
|
द्तिीयक उपभोक्ता (प्राथमिक मॉंसाहारी )
|
तृतीयक उपभोक्ता (द्तिीयक मॉंसाहारी)
|
शीर्ष उपभोक्ता (तृतीयक उपभोक्ता)
|
अपघटक (जीवाणु , कवक , प्रोटोजोआ)
|
घास
(उत्पादक)
|
टिड्डा
(शाकाहारी)
|
मेढ़क
(द्तिीयक उपभोक्ता)
|
सर्प
(तृतीयक उपभोक्ता)
|
बाज
(शीर्ष)
|
अपघटक
1. ऐसे सूक्ष्म जीव जो जटिल कार्बोनिक अणुओं को
मूल तत्वों से विभाजित कर देते हैं ,अपघटक कहलाते हैं।
2.
अपघटक हमेशा मृत और सड़े गले पदार्थो पर जीवाणु और कवक करते हैं।
3. एक
जलीय पारितन्त्र में अपघटक का कार्य जीवाणु और कवक करते हैं।
4. जैव
भू-रासायनिक चक्र को चलाने में अपघटक महत्व पूर्ण भूमिका निभाता है।
पोषक स्तर :
किसी भी खाद्य श्रृंखला में प्रत्येक जीव
अपनी एक निश्चित स्थिति रखता है,जिसे पोषक स्तर कहते हैं।
पोषक
स्तर अधिक से अधिक 6 हेा सकते हैं।
खाद्य श्रृंखला :
किसी
भी जैविक समुदाय में एक पोषक स्तर से दूसरे पोषक स्तर तक जाते वक्त पदार्थ का
गमन होता है, इसे ही खाद्य श्रृंखला कहते हैं।
लिण्डमैन का 10 प्रतिशत ऊर्जा नियम :
इस नियम के अनुसार एक पोषक दूसरे पोषक तत्व
में जाते समय 90 प्रतिशत ही ऊर्जा खत्म हो जाती है, 10 प्रतिशत ही ऊर्जा
दूसरे स्तर तक पहुँच पाती है, इसलिए उत्पादक सबसे ज्यादा तथा उपभोक्ता सबसे
कम होता है।
ओड्म का सार्वत्रिक नियम :
इस नियम के अनुसार किसी भी खाद्य श्रृंखला में
ऊर्जा का प्रवाह एक दिशीय होता है।
डेकोसिस्टम के पिरामिड :
1.
उत्पादक
का उपभोक्ता आरेखिय निरूपण इकोसिस्टम के पिरामिड कहलाता है।
2.
सबसे
पहले इसकी अवधारणा चार्ल्स एल्टन ने दिया था , इसलिए इन्हें एल्टोनियम
पिरामिड भी कहते हैं।
3.
यह
पिरामिड तीन प्रकार के होते हैं-
-ऊर्जा का पिरामिड
-जैव भार का पिरामिड
-संख्या का पिरामिड
ऊर्जा का पिरामिड
यह पिरामिड लिण्डमैन के 10 प्रतिशत नियम
का पालन करता है, ऊर्जा का पिरामिड हमेशा सीधा बनता है।
जैव भार का पिरामिड
जैव भार का पिरामिड स्थलीय अवस्था में
सीधा और जलीय अवस्था में उल्टा बनता है।
संख्या का पिरामिड
संख्या का पिरामिड जलीय व स्थलीय अवस्था
में सीधा बनता है।
नोट: एक
वृक्ष्ा का पिरामिड हमेशा उल्टा बनता है।
एकोष्टिक पारितन्त्र :
ऐसा पारितन्त्र या इकोसिस्टम जिसमें प्रकाश
की कमी होती है,
या अनुपस्थित होता है, एकोष्टिक पारितन्त्र कहलाता है।
ए – अनुपस्थित
कोटिक - प्रकाश
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