Sunday, August 13, 2017

अंग दान दिवस (13 अगस्त)

अंग दान दिवस (13 अगस्त)



किसी व्यक्ति के जीवन में अंग दान के महत्व को समझने के साथ ही अंग दान करने के लिये आम इंसान को प्रोत्साहित करने के लिये सरकारी संगठन और दूसरे व्यवसायों से संबंधित लोगों द्वारा हर वर्ष 13 अगस्त को भारत में अंग दान दिवस मनाया जाता है। अंग दान-दाता कोई भी हो सकता है जिसका अंग किसी अत्यधिक जरुरतमंद मरीज को दिया जा सकता है। मरीज में प्रतिरोपण करने के लिये आम इंसान द्वारा दिया गया अंग ठीक ढंग से सुरक्षित रखा जाता है जिससे समय पर उसका इस्तेमाल हो सके। किसी के द्वारा दिये गये अंग से किसी को नया जीवन मिल सकता है।

अंग दान का महत्व



एक रिपोर्ट के अनुसार, किसी भी समय किसी व्यक्ति के मुख्य क्रियाशील अंग के खराब हो जाने की वजह से प्रति वर्ष कम से कम 5 लाख से ज्यादा भारतीयों की मौत हो जाती है। वो अभी भी जीना चाहते हैं क्योंकि वो अपने जीवन से संतुष्ट नहीं हैं लेकिन प्राकृतिक संकट की वजह से वो ऐसा कर नहीं पाते। उम्मीदों से ज्यादा एक जीवन जीने के उसके समय को बढ़ाने के द्वारा उसके सुंदर जीवन में अंग प्रतिरोपण एक बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। अंग प्रतिरोपित व्यक्ति के जीवन में अंग दान करने वाला व्यक्ति एक ईश्वर की भूमिका निभाता है। अपने अच्छे क्रियाशील अंगों को दान करने के द्वारा कोई अंग दाता 8 से ज्यादा जीवन को बचा सकता है। अंग दान दिवस अभियान, जो 13 अगस्त को मनाया जाता है, एक बेहतरीन मौका देता है हर एक के जीवन में कि वो आगे बढ़े और अपने बहुमूल्य अंगों को दान देने का संकल्प लें।

चिकित्सा शोधकर्ताओं की ये लगन और मेहनत है जिन्होंने मानव जीवन में अंग प्रतिरोपण के साथ ही अंग दान के ऊपर सफलतापूर्णं परिणाम की प्राप्ति के लिये वर्षों तक कई असफलताओं के साथ प्रयोग किया। अंतत: उन्होंने अंग प्रतिरोपण के महत्वपूर्णं प्रक्रिया के ऊपर सफलता हासिल की। चिकित्सा उपचार के द्वारा किडनी, कलेजा, अस्थि मज्जा, हृदय, फेफड़ा, कॉरनिया, पाचक ग्रंथि, आँत वो अंग हैं जो सफलतापूर्वक प्रतिरोपित किये जा सकते हैं। इम्यूनों-सप्रेसिव ड्रग्स के विकास की वजह से अंग प्रतिरोपण और दान करने की प्रक्रिया सफलतापूर्वक हो सकती है जिससे अंग प्राप्त कर्ता के जीवित रहने की दर बढ़ा सकता है।

आधुनिक समय में नयी तकनीक और उपचार के विकास और वृद्धि की वजह से अंग प्रत्यारोपण की जरुरत लगातार बड़े स्तर पर बढ़ रही है जिससे प्रति वर्ष और अंग दान की जरुरत है। अच्छी तकनीक और उपचार की उपलब्धता होने के वजूद भी मृत्यु-दर बढ़ रही है क्योंकि प्रतिरोपण लायक अंग की कमी है।

लक्ष्य

अंग दान की जरुरत के बारे में लोगों को जागरुक करना।पूरे देश में अंग दान के संदेश को फैलाना।अंग दान करने के बारे में लोगों की हिचकिचाहट को हटाना।अंग दाता का आभार प्रकट करना।अपने जीवन में अंग दान करने के लिये और लोगों को प्रोत्साहित करना।

कौन सा अंग दान किया जा सकता है?



किडनी
फेफड़ा
हृदय
आँख
कलेजा
पाचक ग्रंथि
आँख की पुतली की रक्षा करने वाला सफेद सख्त भाग
आँत
त्वचा
ऊतक
अस्थि
ऊतकहृदय
छिद्र
नसें



समाज में अंग दान की शुरुआत करने वाले बहुत से संस्थान और लोग हैं; उनमें से एक टाईम्स ऑफ इंडिया है जिसने इसकी पूर्ति और अंग दान की जरुरत के बारे में आँकड़ों सहित रोजाना असरदार और वास्तविक खबरों के द्वारा पूरे विश्व में अंग दान के संदेश को फैला रहें हैं। लोगों के बीच में टीओआई की खबर ने एक उम्मीद जगाई जिन्हें वास्तव में अंग प्रतिरोपण की जरुरत है। टीओआई ने “मृत्यु के बाद भी जीवन शुरु हो सकता है” के शीर्षक के तहत महान संदेश दिया। उसके अनुसार पूरे देश में ऐसे बहुत सारे व्यक्ति हैं जिनका कोई महत्वपूर्णं अंग खराब हो गया हो और उन्हें अपने जीवन को जारी रखने के लिये किसी दूसरे व्यक्ति के अंग की जरुरत हो। ब्रेन डेथ के बाद ही अंग दान की प्रक्रिया के द्वारा अंग प्रतिरोपण की जरुरत को पूरी की जा सकती है। लेकिन सिर्फ अफवाह और भ्रम की वजह से आज भी हमारे देश में अंग दान करने वालों की संख्या बहुत कम है। जिस किसी को भी आपके बहुमूल्य अंग की बेहद जरुरत है उसे अपना अंग दान देने के द्वारा अपने जीवन में अपने महान देश और परिवार के लिये आदर्श बने।


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