Monday, July 24, 2017

जवाहरलाल नेहरू की गलतियां जो हम आज तक भुगत रहे हैं

 जवाहरलाल नेहरू की गलतियां जो हम आज तक भुगत रहे हैं 

1) कोको आइसलैंड - 1950 में नेहरू ने भारत का ' कोको द्वीप समूह' ( Google Map location -14.100000, 93.365000 ) बर्मा को गिफ्ट दे दिया। यह द्वीप समूह कोलकाता से 900 KM दूर समंदर में है।
बाद में बर्मा ने कोको द्वीप समूह चीन को दे दिया, जहाँ से आज चीन भारत पर नजर रखता है।

2) काबू व्हेली मनिपुर - नेहरू ने 13 Jan 1954 को भारत के मणिपुर प्रांत की काबू व्हेली दोस्ती के तौर पर बर्मा को दे दिया। काबू व्हेली कलगभगा क्षेत्रफल 11000 वर्ग किमी है और कहते हैं कि यह कश्मीर से भी अधिक खूबसरत है।
आज बर्मा ने काबू व्हेली का कुछ हिस्सा चीन को दे रखा है। चीन यहां से भी भारत पर नजर रखता है।

3) भारत - नेपाल विलय - 1952 में नेपाल के तत्कालीन राजा त्रिभुवन विक्रम शाह ने नेपाल को भारत में विलय कर लेने की बात नेहरू से कही थी, लेकिन नेहरू ने ये कहकर उनकी बात टाल दी की भारत में नेपाल के विलय से दोनों देशों को फायदे की बजाय नुकसान ज्यादा होगा। यही नहीं, इससे नेपाल का टूरिज्म भी खत्म हो जाएगा।

4) UN Permanent Seat- नेहरू ने 1953 में अमेरिका की उस पेशकश को ठुकरा दिया था, जिसमें भारत से सुरक्षा परिषद ( United Nations ) में स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल होने को कहा गया था। इसकी जगह नेहरू ने चीन को सुरक्षा परिषद में शामिल करने की सलाह दे डाली।
यही चीन आज पाकिस्तान का हम दर्द बना हुआ है। वह पाक को बचाने के लिए भारत के कई प्रस्तावों को UN में नामंजूर कर चुका है। हाल ही उसने दहशतगर्द मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के भारतीत प्रस्ताव को वीटो कर उसे बचाया है।

5) जवाहरलाल नेहरू और लेडी मांउटबेटन - लेडी माउंटबेटन की बेटी पामेला ने अपनी किताब में लिखा है कि दोनों के बीच अंतरंग संबंध थे। लॉर्ड माउंटबेटन भी दोनों को अकेला छोड़ देते थे। लॉर्ड माउंटबेटन अपनी पत्नी को गैरमर्द के साथ खुला क्यूं छोड़ते थे, यह अभी तक राज है। लोग मानते हैं कि ऐसा कर लॉर्ड माउंटबेटन ने जवाहरलाल नेहरू से भारतीय सेना के और देश के कई राज हथियाए थे।

6) पंचशील समझौता - नेहरू चीन से दोस्ती के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक थे। नेहरू ने 1954 को चीन के साथ पंचशील समझौता किया। इस समझौते के साथ ही भारत ने तिब्बत को चीन का हिस्सा मान लिया।
नेहरू ने चीन से दोस्ती की खातिर तिब्बत को भरोसे में लिए बिना ही उस पर चीनी 'कब्जे' को मंजूरी दे दी। बाद में 1962 में इसी चीन ने भारत पर हमला किया। चीन की सेना इसी तिब्बत से ही भारत की सीमा में प्रवेश किया था।

7) 1962 भारत चीन युद्ध -चीनी सेना ने 1962 में भारत को हराया था। हार के कारणों को जानने के लिए भारत सरकार ने ले.जनरल हेंडरसन और कमान्डेंट ब्रिगेडियर भगत के नेतृत्व में एक समिति बनाई थी। दोनों अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में हार के लिए प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया था।
चीनी सेना जब अरुणाचल प्रदेश, असम, सिक्किम तक अंदर घुस आई थी, तब भी नेहरू ने हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा लगाते हुए भारतीय सेना को चीन के खिलाफ एक्शन लेने से रोके रखा। परिणाम स्वरूप हमारे कश्मीर का लगभग 14000 वर्ग किमी भाग पर चीन ने कब्जा कर लिया। इसमें कैलाश पर्वत, मानसरोवर और अन्य तीर्थ स्थान आते हैं।

ऐसे थे जवाहर लाल नेहरू।
भारत का सही इतिहास जानना आपका हक़ है ।

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