Monday, April 23, 2018

भारत में जैन तीर्थ स्थल

 भारत में जैन तीर्थ स्थल
 श्रवणबेलगोला
 हासन कर्नाटक में स्थित यह है सर्वप्रथम और सर्वप्रमुख जयन तीर्थ यहां जैन तीर्थंकर आदिनाथ के पुत्र बाहुबली की 57 फीट ऊंची मूर्ति है यह विश्व की सबसे ऊंची अखंड एक पत्थर से बनी हुई प्रतिमा है मान्यताओं के अनुसार इस प्रतिमा का निर्माण वर्ष 983 में यहां के गंग शासक पक्ष मलिक के शासनकाल में चामुंड राय नामक मंत्री ने कराया था जैन धर्म द्वारा इस विशालकाय मूर्ति का मस्तक अभिषेक किया जाता है 12 वर्षों में एक बार आयोजित होने वाले इस मस्तकाभिषेक समारोह का महत्व हिंदू धर्म के कुंभ के मेले के बराबर माना जाता है महामस्तकाभिषेक की शुरुआत 981 ईस्वी से हुई थी

कुंडलपुर
कुंडलपुर भगवान महावीर का जन्म स्थान माना जाता है जो बिहार में राजगृह के पास स्थित है नालंदा से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी के पास बड़ा गांव में एक जैन मंदिर क्षेत्र कुंडलपुर के नाम से जाना जाता है मंदिर में भगवान महावीर की मूलनायक प्रतिमा है तथा मंदिर के बाहर चबूतरे पर एक चित्र बना हुआ है जिसमें भगवान महावीर के चरणों हैं

 सम्मेद शिखर
 सम्मेद शिखर झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ी काय खावे यह एक महत्वपूर्ण माना जाता है कि श्री सम्मेद शिखर जी के रूप में चर्चित क्षेत्र में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर मोक्ष प्राप्त किया यही निर्वाण प्राप्त किया था इस शिखर की ऊंचाई  13 50 मीटर है तथा जैन मंदिर बना हुआ है जैन ग्रंथों के अनुसार सम्मेद शिखर और अयोध्या इन दोनों का अस्तित्व सृष्टि के समानांतर है इसलिए इनको सारस्वत माना गया है

 रणकपुर मंदिर
 रणकपुर जैन मंदिर का निर्माण 1443 विक्रम संवत में हुआ था यह जैन तीर्थंकर ऋषभदेव का चतुर्मुखी जैन मंदिर है जो राजस्थान राज्य में अरावली पर्वत की घाटियों में स्थित है इसका परिसर 40000 वर्ग फीट में फैला है तथा इसमें चार कलात्मक प्रवेश द्वार हैं तथा मंदिर के मुख्य ग्रह में तीर्थंकर आदिनाथ की संगमरमर से बनी हुई 4 विशाल मूर्तियां हैं संगमरमर के टुकड़ों पर भगवान ऋषभदेव के पदचिन्ह हैं जो भगवान ऋषभदेव तथा शत्रुंजय की शिक्षाओं को याद दिलाते हैं

 गिरनार
गिरनार अथवा गिरी नगर प्राचीन भारत का एक प्रमुख तीर्थ स्थल था यह गुजरात राज्य के जूनागढ़ जिले में स्थित है यहीं पर मौर्य शासक सम्राट अशोक ने अपना शिला लेख उत्कीर्ण करवाया था इसके अतिरिक्त महा छत्रप रुद्रदामन का संस्कृत भाषा में लिखित प्रथम अभिलेख भी यहीं से मिलता है इसमें मौर्य शासक चंद्रगुप्त के गवर्नर उस गुप्त द्वारा निर्मित सुदर्शन झील का उल्लेख है जिसके दांत की मरम्मत रुद्रदामन के समय में हुई थी गिरनार का संबंध जैन धर्म से भी है यहां पहाड़ी की ऊंची चोटी पर कई जैन मंदिर हैं जिसमें नेमिनाथ का मंदिर सबसे प्रसिद्ध गिरनार का संबंध जैन साहित्य में तीर्थंकर नेमी से बताया गया है

दिलवाड़ा मंदिर
दिलवाड़ा मंदिर राजस्थान के माउंट आबू पर्वत पर स्थित है यह 5 मंदिरों का समूह है जो राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित है इस मंदिर का निर्माण 11 वीं शताब्दी के बीच हुआ था दिलवाड़ा के मंदिर में विमल बसाई मंदिर प्रथम तीर्थंकर को समर्पित है चालक राजाओं के काल में दिलवाड़ा जैन मंदिर का निर्माण 1231 ईस्वी में वास्तु पाल एवं तेजपाल नामक दो भाइयों द्वारा करवाया गया था दिलवाड़ा का जैन मंदिर जैन तीर्थंकर को समर्पित है यह मंदिर संगमरमर का बना है तथा मंदिर के लगभग 48 स्तंभों में टांगना की आकृतियां बनी हुई है इस मंदिर में 10 हाथियों की प्रतिमाएं हैं

केसरिया नाथ रिषभ देव नगर
ऋषभदेव उदयपुर से 65 किलोमीटर दूर एक शहर में स्थित है सबको केसरियाजी के नाम से भी जाना जाता है यह जैनियों का एक प्रसिद्ध तीर्थ है यहां ऋषभदेव मंदिर है तथा प्रथम जैन तीर्थंकर एवं भगवान विष्णु के आठवें अवतार का मंदिर है इस मंदिर को केसरिया नाथ मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि यहां काफी ज्यादा मात्रा में केसर चढ़ाया जाता है तथा केसर की पूजा होती है मुख्य मंदिर में भगवान ऋषभदेव के काले पत्थर से खुद ही पद्मासन मुद्रा में 3:30 फीट ऊंची मूर्ति है

पालीताणा
 पालीताणा गुजरात राज्य के भावनगर जिले में स्थित जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है यह भावनगर शहर से 50 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम दिशा में तथा शत्रुंजय नदी के तट पर स्थित है जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध पालीताणा में पर्वत शिखर पर कई भव्य एवं सुंदर जैन मंदिर हैं सफेद संगमरमर से निर्मित 11 वीं शताब्दी इन 3 तीर्थ मंदिरों की नक्काशी व मूर्तिकला विश्व भर में प्रसिद्ध पालीताणा शत्रुंजय तीर्थ का जैन धर्म में विशेष महत्व है पांच प्रमुख प्रमुख तीर्थों में से एक शत्रुंजय तीर्थ की यात्रा करना प्रत्येक जैन अनुयाई अपना कर्तव्य मानता है पालीताणा का प्रमुख भाग सबसे प्रमुख जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का मंदिर है आदिश्वर देव के इस मंदिर में भगवान की अंगों दर्शनीय हैं

पावापुरी
पावापुरी बिहार के नालंदा जिले में स्थित छोटा सा शहर है जो जैन धर्म का पवित्र तीर्थ स्थल है इसी स्थान पर महावीर भगवान स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी तेरा भी ईस्वी में जिन प्रभु सूरी ने अपने ग्रंथ विविध गीत कल उस रूप में इस का प्राचीन नाम पापा बताया है महावीर स्वामी ने जैन संघ की स्थापना पावापुरी में ही की थी पावापुरी में कमल तालाब के बीच में प्रसिद्ध जल मंदिर बना है जो विश्व प्रसिद्ध लगभग 26 वर्ष पूर्व प्राचीन काल में पावापुरी मगध साम्राज्य का हिस्सा था जिससे मध्यम बाबा UP पूरी कहा जाता है पावापुरी के प्रसिद्ध जैन मंदिर का निर्माण महावीर के बड़े भाई नंदिवर्धन ने करवाया था जो विमान के आकार का है तथा जलाशय के किनारों से मंदिर तक लगभग 600 फुट लंबा पत्थर का पुल बनाया गया है
बावन गजा
 बावन गजा मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में स्थित एक प्रमुख जैन तीर्थ है यहां का मुख्य आकर्षण पहाड़ से काटकर निर्मित प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ जी की विशाल प्रतिमा है यह 26 मीटर ऊंचाई की है इसका निर्माण 12 वीं शताब्दी में हुआ था एक शिलालेख के अनुसार संवत 1516 ईस्वी में भट्टारक रतन कीर्ति ने बावन गजा मंदिर का जीर्णोद्धार कराया बावन गजा को चूल गिरी के नाम से भी जाना जाता है कुछ विद्वानों ने आदिनाथ की मूर्ति को रामायणकालीन माना है बावन गजा में प्रसिद्ध सर्वोच्च शिखर चूलगिरी है यहां चूलगिरी मंदिर भी है

चंद्रगिरी
चंद्रगिरी मैसूर कर्नाटक राज्य में स्थित है यह कावेरी नदी के उत्तर तट पर कल पप्पू नामक पहाड़ी पर स्थित है जैनियों की मान्यताओं के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य अपने जीवन के उपरांत में जैन साधु बनने के बाद इसी पर्वत पर तपस्या करने आया था चंद्रगुप्त से संबंधित होने के कारण इसका नाम चंद्र गिरी पहाड़ी पड़ा है यहां जैनियों का चंद्रगुप्त बस्ती नामक एक छोटा सा मंदिर है जो जैनियों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है

अजीत नाथ मंदिर तरंगा
अजीत नाथ मंदिर मेहसाणा गुजरात में स्थित है यह प्रसिद्ध जैन मंदिर है जिसका निर्माण 1121 आलोक कुमार पाल ने किया था इस मंदिर के निर्माण की सलाह आचार्य हेमचंद्र ने की थी 12 वीं शताब्दी में तिरंगा महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल बन गया था मंदिर के दाएं भाग में ऋषभदेव के पैरों के निशान और 20 तीर्थंकर और बाएं और गोवा का एक मंदिर संस्मरण और जंबूदीप चित्रकला है मुख्य मंदिर के बाहरी मंच पर पद्मावती और कुमार पाल की खुद की मूर्तियां हैं

लाल मंदिर
जैन लाल मंदिर पुरानी दिल्ली में चांदनी चौक में स्थित है यह दिल्ली का सबसे पुराना जैन मंदिर यह मंदिर जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है जिसका निर्माण 1526 ईस्वी में हुआ था इस मंदिर का निर्माण किया गया है इसलिए इसका नाम लाल मंदिर रखा गया यह मंदिर लाल किले के सामने स्थित है जो जैनियों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है

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