Monday, August 21, 2017

न्यूज़ पेपर -- ज्ञान का खजाना by- अवधकिशोर पवार , IRS (UPSC - 2015 )

न्यूज़ पेपर -- ज्ञान का खजाना



Written by-- अवधकिशोर पवार , IRS (UPSC - 2015 )
                डॉक्टर अब्दुल कलाम हमेशा नॉलेज यानी ज्ञान को सबसे बड़ी ताकत मानते थे।मैने अपनी डिपार्टमेंटल ट्रेनिंग के दौरान लुधियाना (पंजाब ) के डिप्टी कमिशनर इनकम टैक्स, प्रेम मलिक सर से मुलाकात की।वे UPSC में सेलेक्शन के पहले इस एग्जाम की बेहतरीन कोचिंग वाजीराम एंड रवि,दिल्ली में पढ़ाते थे।और इस काम से उनकी सालाना आय लगभग 60 लाख रुपये थी।एक छोटे से परिवार से दुनिया के सबसे अमीर इंसान बनने वाले बिल गेट्स भी नॉलेज बेस्ड इकॉनमी के उदाहरण है।
                 ज्ञान में वो ताकत है जो किसी इंसान को कीमती बना देता है।आज प्राइवेट सेक्टर हो या गवर्नमेंट सेक्टर ,लगभग हर जगह ऐसे लोगो की मांग है जो अपडेट हो, नए ज्ञान विज्ञान को समझते हो।मेरे कुछ दोस्त ऐसे भी है जो 3- 4 सरकारी जॉब के एग्जाम निकाल चुके है जैसे महेश वर्मा जी वर्तमान में IRS हैं,  वे पहले राजस्थान में SDM ,DSP और ग्रुप C जॉब्स में रह चुके है ; वही कई लोग एक अच्छी जॉब के लिए परेशान रहते हैं।इनके बीच मुख्य अंतर है नॉलेज के स्तर का...। इस मामले में एक अच्छा न्यूज़पेपर बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।आइये इसे गहराई से समझते है-

1) *दुनिया मे क्या चल रहा है* - MAT,CAT हो या UPSC,PSC, SSC , बैंक आदि एग्जाम; सभी जगह इस मुद्दे पर जोर रहता है।इसलिए हर दिन न्यूज़पेपर का अध्ययन इन मुद्दों को मजबूत बना देता है,वो भी बिना रटे।समाचार पत्र का फ्रंट पेज यानी पहला पन्ना , national news और आर्थिक बिंदु पेज़ इस मामले में सबसे उपयोगी माना जा सकते है।

2) *गहन चिंतन मनन*-- कई एग्जाम में हमारे विचारों को पूछा जाता है।और लगभग सभी इंटरव्यू चाहे प्राइवेट सेक्टर के हो या गवर्नमेंट सेक्टर खुद की सोच को परखा जाता है।यहाँ न्यूज़पेपर का संपादकीय पेज या एडिटोरियल पेज बड़ा काम का है।इसे ध्यान से पढ़कर फिर थोड़ी देर खुद सोचना कि इस मुद्दे पर क्या होना चाहिए..हमारी समझ शक्ति को बढ़ाता है। जब मैं इंजीनियरिंग के फर्स्ट ईयर में था तब से ही इंग्लिश न्यूज़पेपर की प्रतिदिन पढ़ाई मुझे जनरल नॉलेज में मजबूत बनाती रही।कॉलेज के 4 साल और upsc तैयारी के 5 साल में हर दिन 1 घंटे न्यूज़पेपर पढ़ना बड़ा फ़ायदेमंद रहा।

3) *इंग्लिश पर पकड़* -- वर्तमान समय मे यह एक कठोर सच है कि इंग्लिश प्राइवेट और सरकारी सेक्टर की भाषा बनते जा रही है।हमारे कई इंजीनियर कमजोर इंग्लिश के कारण अच्छी कंपनियों में जॉब नही पा पाते। अच्छा इंग्लिश न्यूज़पेपर इस समस्या को भी हल करने में योगदान करता है।बस हर दिन न्यूज़पेपर से  10 नए शब्द एक रजिस्टर में नोट करिये । फिर डिक्शनरी से उनका meaning लिखिए । और उनका revision, प्रयोग करें। फिर देखिए कमाल, आप एक साल के अंदर एक मजबूत इंग्लिश भाषी हो सकते है।डेली एक पैराग्राफ इस न्यूजपेपर से जोर जोर से बोल  के पढ़ने से स्पीकिंग इंग्लिश में भी सुधार आता है।

4) *रीडिंग एबिलिटी*-- यानी पढ़ने और गृहण करने की क्षमता भी न्यूज़पेपर पढ़ने से धीरे धीरे विकसित होती जाती है।हम कितने जल्दी किसी बात को समझ कर उसे दिमाग मे रख सकते है,और उसका उपयोग कर सकते है।यह capacity आज हर उच्च स्तरीय जॉब की जरूरत है।

5) *5W + 1H* -- what, why,where, when, who, how यानी क्या क्यो कैसे कब कहाँ... यदि हम इन बिन्दुओ पर किसी बात को परखे तो हमारा ज्ञान इस मामले में एक उच्च स्तर को छू लेता है।अच्छे न्यूज़पेपर इस बिंदु पर लेखन करते है।कोई भी नया टर्म ( शब्द या शब्द समूह) जैसे demonatisation आपको यहाँ मिले तो उसे तुरंत मोबाइल से इंटरनेट  में देखे।कुछ वर्ष में आपका ज्ञान अदभुत गति से बढ़ता जाएगा।

6) *क्या पढ़े ,क्या नही पढ़े* - चटपटी खबरे, क्राइम रिपोर्ट आदि की जगह ज्यादा समय अच्छी न्यूज़ में लगायें।संपादकीय, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और आर्थिक पेज पर ज्यादा समय देना लाभ देता है।

7) *चर्चा करें* - यदि किसी अच्छे दोस्त के साथ हर दिन महत्वपूर्ण मुद्दों पर थोड़ी देर चर्चा हो सके तो यह शानदार परिणाम दे सकता है,क्योकि चर्चा की हुए बाते आसानी से याद रहती है।वोकेबलरी याद करने में भी यह जबरदस्त भूमिका निभाता है।एक बार इस पर जरूर काम करे ,आप कई गुना फायदा पाएंगे।

8) *कौन सा न्यूजपेपर पढ़े*-- कुछ ही न्यूज़पेपर आज स्टैंडर्ड माने जा सकते है।चटपटी न्यूज़ से परे , सही और गहन पड़ताल करने वाले समाचार पत्र कम ही है।इस मामले में सबसे अच्छा न्यूज़पेपर *" the hindu"*  माना जाता है।UPSC के लिए यह बेस्ट कहा जा सकता है।इसकी भाषा थोड़ी सी कठिन है।उसके बाद *"The indian express"* है।इन दोनों में से एक न्यूजपेपर स्कूल टाइम से पढ़ा जाना काफी लाभदायक हो सकता है।          
         ये थोड़े महंगे (लगभग 300/- हर माह)जरूर है,पर इनसे मिलने वाले फायदे काफी ज्यादा है।इन्हें पेपर बांटने वाले एजेंसी से कहकर बुलाया जा सकता है।या ऑनलाइन इंटरनेट पर भी पढ़ा जा सकता है।अगर ये न मिल पाये तो  *"The times of india"* भी लिया जा सकता है।स्कूल स्तर तक यदि ये न्यूज़पेपर न मिले तो फिर  *दैनिक भास्कर या दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण*  भी लिये जा सकते है।


         हमारे इलाके में न्यूज़पेपर पढ़ने पर अभी उतना जोर नही है।इसके कारण हमारे युवा बाहर निकलकर कम्पटीशन एग्जाम में पिछड़ जाते है।नॉलेज की कमी और इंग्लिश पर कम पकड़ इसका बड़ा कारण है । जब हम कॉलेज या स्कूल पास होने के बाद ,छोटे -छोटे गाँवो से भोपाल, इंदौर जैसे शहर आकर देखते है कि शहरी बच्चे हमसे कई मामलों में आगे है तो हिम्मत टूटने लगती है। इसलिए पानी सिर के ऊपर  तक आ जाये, उसके पहले ही जागना जरूरी है।किसी भी competition एग्जाम की तैयारी के पहले ही हम अपना फाउंडेशन इतना मजबूत बना लें कि बाकी लोगों से कई कदम आगे हो,फिर सफलता मिलना लगभग तय ही होता है।
उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं ...,☺️

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