खासखास बातें
चांद की मिट्टी को धरती पर लाया जा जाएगा.
हीलियम-3 से देश में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जाएगा.
वो दिन दूर नहीं जब लोग चांद पर हनीमून मनाने जा सकेंगे.
नई दिल्ली: विकसित से लेकर विकासशील देशों के वैज्ञानिक और सरकारें ऊर्जा स्रोत तलाशने में पूरी ताकत झोंके हुए हैं. इसी कड़ी में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रमा से ऊर्जा हासिल करने की तकनीक ढूंढ निकाला है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगले कुछ समय में धरती से लोग चंद्रमा पर हनीमून मनाने जा सकेंगे. इसरो के वैज्ञाननिक सिवाथनु पिल्लई का दावा है कि 2030 तक भारत चंद्रमा से अपने जरूरत के हिसाब से ऊर्जा हासिल करने लगेगा. उन्होंने बताया कि चंद्रमा पर भारी मात्रा में हीलियम-3 है, उसी से भारत को ऊर्जा मिल पाएगी.
वैज्ञानिक सिवाथनु पिल्लई ने बताया कि इसरो के वैज्ञानिक तैयारी कर रहे हैं कि चांद की मिट्टी को धरती पर लाया जा जाए और उससे हीलियम-3 हासिल कर देश में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जाए.
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के कार्यक्रम में 'कल्पना चावला स्पेस पॉलिसी' विषय पर सिवाथनु पिल्लई ने कहा कि वो दिन दूर नहीं जब लोग चांद पर हनीमून मनाने जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि इस सपने को पूरा होने में कुछ दशक का समय लग सकता है.
कार्यक्रम में मौजूद लेफ्टिनेंट जनरल और भारतीय सेना के परिप्रेक्ष्य योजना के निदेशक पीएम बाली ने कहा कि GSAT-7 ऐसा पहला सेटेलाइट है, जो पूरी तरीके से सेना के लिए काम करती है. भारतीय फौज इस सेटेलाइट के जरिए देश की सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखती है.
मालूम हो कि हीलियम-3 हीलियम का आइसोटॉप है, जिसे ऊर्जा में बदला जा सकता है. सूर्य में हो रही फ्यूशन रियेक्शन में हाईड्रोजन लगातार हीलियम में बदल रहा है, जिससे ऊर्जा जनरेट हो रही है. इसी तरह अगर हीलियम में फ्यूशन रिएक्शन कराई जाए तो यह हीलियम-2 में बदलेगा, जिससे ऊर्जा पैदा होगी.
हाल ही में इसरो के वैज्ञानिकों ने एक रॉकेट की मदद से 104 सेटेलाइट प्रक्षेपित कर विश्व रिकॉर्ड कायम किया है. इतना ही नहीं इसरो दुनिया में सबसे कम खर्च में मंगल मिशन को पूरा कर चुका है. बातें
चांद की मिट्टी को धरती पर लाया जा जाएगा.
हीलियम-3 से देश में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जाएगा.
वो दिन दूर नहीं जब लोग चांद पर हनीमून मनाने जा सकेंगे.
नई दिल्ली: विकसित से लेकर विकासशील देशों के वैज्ञानिक और सरकारें ऊर्जा स्रोत तलाशने में पूरी ताकत झोंके हुए हैं. इसी कड़ी में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रमा से ऊर्जा हासिल करने की तकनीक ढूंढ निकाला है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगले कुछ समय में धरती से लोग चंद्रमा पर हनीमून मनाने जा सकेंगे. इसरो के वैज्ञाननिक सिवाथनु पिल्लई का दावा है कि 2030 तक भारत चंद्रमा से अपने जरूरत के हिसाब से ऊर्जा हासिल करने लगेगा. उन्होंने बताया कि चंद्रमा पर भारी मात्रा में हीलियम-3 है, उसी से भारत को ऊर्जा मिल पाएगी.
वैज्ञानिक सिवाथनु पिल्लई ने बताया कि इसरो के वैज्ञानिक तैयारी कर रहे हैं कि चांद की मिट्टी को धरती पर लाया जा जाए और उससे हीलियम-3 हासिल कर देश में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जाए.
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के कार्यक्रम में 'कल्पना चावला स्पेस पॉलिसी' विषय पर सिवाथनु पिल्लई ने कहा कि वो दिन दूर नहीं जब लोग चांद पर हनीमून मनाने जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि इस सपने को पूरा होने में कुछ दशक का समय लग सकता है.
कार्यक्रम में मौजूद लेफ्टिनेंट जनरल और भारतीय सेना के परिप्रेक्ष्य योजना के निदेशक पीएम बाली ने कहा कि GSAT-7 ऐसा पहला सेटेलाइट है, जो पूरी तरीके से सेना के लिए काम करती है. भारतीय फौज इस सेटेलाइट के जरिए देश की सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखती है.
मालूम हो कि हीलियम-3 हीलियम का आइसोटॉप है, जिसे ऊर्जा में बदला जा सकता है. सूर्य में हो रही फ्यूशन रियेक्शन में हाईड्रोजन लगातार हीलियम में बदल रहा है, जिससे ऊर्जा जनरेट हो रही है. इसी तरह अगर हीलियम में फ्यूशन रिएक्शन कराई जाए तो यह हीलियम-2 में बदलेगा, जिससे ऊर्जा पैदा होगी.
हाल ही में इसरो के वैज्ञानिकों ने एक रॉकेट की मदद से 104 सेटेलाइट प्रक्षेपित कर विश्व रिकॉर्ड कायम किया है. इतना ही नहीं इसरो दुनिया में सबसे कम खर्च में मंगल मिशन को पूरा कर चुका है.
चांद की मिट्टी को धरती पर लाया जा जाएगा.
हीलियम-3 से देश में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जाएगा.
वो दिन दूर नहीं जब लोग चांद पर हनीमून मनाने जा सकेंगे.
नई दिल्ली: विकसित से लेकर विकासशील देशों के वैज्ञानिक और सरकारें ऊर्जा स्रोत तलाशने में पूरी ताकत झोंके हुए हैं. इसी कड़ी में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रमा से ऊर्जा हासिल करने की तकनीक ढूंढ निकाला है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगले कुछ समय में धरती से लोग चंद्रमा पर हनीमून मनाने जा सकेंगे. इसरो के वैज्ञाननिक सिवाथनु पिल्लई का दावा है कि 2030 तक भारत चंद्रमा से अपने जरूरत के हिसाब से ऊर्जा हासिल करने लगेगा. उन्होंने बताया कि चंद्रमा पर भारी मात्रा में हीलियम-3 है, उसी से भारत को ऊर्जा मिल पाएगी.
वैज्ञानिक सिवाथनु पिल्लई ने बताया कि इसरो के वैज्ञानिक तैयारी कर रहे हैं कि चांद की मिट्टी को धरती पर लाया जा जाए और उससे हीलियम-3 हासिल कर देश में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जाए.
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के कार्यक्रम में 'कल्पना चावला स्पेस पॉलिसी' विषय पर सिवाथनु पिल्लई ने कहा कि वो दिन दूर नहीं जब लोग चांद पर हनीमून मनाने जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि इस सपने को पूरा होने में कुछ दशक का समय लग सकता है.
कार्यक्रम में मौजूद लेफ्टिनेंट जनरल और भारतीय सेना के परिप्रेक्ष्य योजना के निदेशक पीएम बाली ने कहा कि GSAT-7 ऐसा पहला सेटेलाइट है, जो पूरी तरीके से सेना के लिए काम करती है. भारतीय फौज इस सेटेलाइट के जरिए देश की सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखती है.
मालूम हो कि हीलियम-3 हीलियम का आइसोटॉप है, जिसे ऊर्जा में बदला जा सकता है. सूर्य में हो रही फ्यूशन रियेक्शन में हाईड्रोजन लगातार हीलियम में बदल रहा है, जिससे ऊर्जा जनरेट हो रही है. इसी तरह अगर हीलियम में फ्यूशन रिएक्शन कराई जाए तो यह हीलियम-2 में बदलेगा, जिससे ऊर्जा पैदा होगी.
हाल ही में इसरो के वैज्ञानिकों ने एक रॉकेट की मदद से 104 सेटेलाइट प्रक्षेपित कर विश्व रिकॉर्ड कायम किया है. इतना ही नहीं इसरो दुनिया में सबसे कम खर्च में मंगल मिशन को पूरा कर चुका है. बातें
चांद की मिट्टी को धरती पर लाया जा जाएगा.
हीलियम-3 से देश में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जाएगा.
वो दिन दूर नहीं जब लोग चांद पर हनीमून मनाने जा सकेंगे.
नई दिल्ली: विकसित से लेकर विकासशील देशों के वैज्ञानिक और सरकारें ऊर्जा स्रोत तलाशने में पूरी ताकत झोंके हुए हैं. इसी कड़ी में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रमा से ऊर्जा हासिल करने की तकनीक ढूंढ निकाला है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगले कुछ समय में धरती से लोग चंद्रमा पर हनीमून मनाने जा सकेंगे. इसरो के वैज्ञाननिक सिवाथनु पिल्लई का दावा है कि 2030 तक भारत चंद्रमा से अपने जरूरत के हिसाब से ऊर्जा हासिल करने लगेगा. उन्होंने बताया कि चंद्रमा पर भारी मात्रा में हीलियम-3 है, उसी से भारत को ऊर्जा मिल पाएगी.
वैज्ञानिक सिवाथनु पिल्लई ने बताया कि इसरो के वैज्ञानिक तैयारी कर रहे हैं कि चांद की मिट्टी को धरती पर लाया जा जाए और उससे हीलियम-3 हासिल कर देश में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जाए.
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के कार्यक्रम में 'कल्पना चावला स्पेस पॉलिसी' विषय पर सिवाथनु पिल्लई ने कहा कि वो दिन दूर नहीं जब लोग चांद पर हनीमून मनाने जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि इस सपने को पूरा होने में कुछ दशक का समय लग सकता है.
कार्यक्रम में मौजूद लेफ्टिनेंट जनरल और भारतीय सेना के परिप्रेक्ष्य योजना के निदेशक पीएम बाली ने कहा कि GSAT-7 ऐसा पहला सेटेलाइट है, जो पूरी तरीके से सेना के लिए काम करती है. भारतीय फौज इस सेटेलाइट के जरिए देश की सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखती है.
मालूम हो कि हीलियम-3 हीलियम का आइसोटॉप है, जिसे ऊर्जा में बदला जा सकता है. सूर्य में हो रही फ्यूशन रियेक्शन में हाईड्रोजन लगातार हीलियम में बदल रहा है, जिससे ऊर्जा जनरेट हो रही है. इसी तरह अगर हीलियम में फ्यूशन रिएक्शन कराई जाए तो यह हीलियम-2 में बदलेगा, जिससे ऊर्जा पैदा होगी.
हाल ही में इसरो के वैज्ञानिकों ने एक रॉकेट की मदद से 104 सेटेलाइट प्रक्षेपित कर विश्व रिकॉर्ड कायम किया है. इतना ही नहीं इसरो दुनिया में सबसे कम खर्च में मंगल मिशन को पूरा कर चुका है.
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